अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) 2023 : How to Get Property Card Online

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Akhiv Patrika Online 2023 :- दोस्तों आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करने जा रहे हैं। जैसे कि अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) क्या है, इसका उद्देश्य, इसके लाभ ,पात्रता ,दस्तावेज, पंजीकरण प्रक्रिया आदि सभी जानकारियां| आज हम आपके साथ साझा करेंगे। अगर आप भी अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियों को प्राप्त करना चाहते हैं। तो हमारे आज के इस आर्टिकल को अंत तक ध्यानपूर्वक पढ़ें।

Table of Contents

क्या होती है अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन)? 2023

एक शहर का नगर निगम द्वारा प्रॉपर्टी टैक्स देने की प्रक्रिया को ठीक करने के लिए प्रॉपर्टी ओनरशिप ट्रांसफर का रिकॉर्ड अपने पास रखा जाता है। तथा इसी दस्तावेज के जरिए इसे सुनिश्चित किया जा सकता है।प्रॉपर्टी म्यूटेशन के माध्यम से पता चलता है कि संपत्ति एक शख्स से दूसरे को ट्रांसफर कर दी गई है। तथा प्रशासन को टैक्स पेयर्स की जिम्मेदारियां तय करने में भी सहायता करता है। हालांकि यह किसी भी प्रकार का कानूनी दस्तावेज नहीं है। लेकिन अगर भविष्य में प्रॉपर्टी भेजी जाती है तो यह काम आता है। प्रॉपर्टी म्यूटेशन को हिंदी भाषा में दाखिल खारिज कहा जाता है। अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) होने पर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रॉपर्टी का अनावश्यक रूप से प्रयोग नहीं किया जा सकता है।

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अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) के लिए कैसे अप्लाई करें तथा इस में कितनी लागत आती है?

अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) कराने के लिए अलग-अलग शहरों में अलग अलग फीस होती है। तथा यह भूमि के क्षेत्रफल पर भी निर्भर करती है। दिल्ली या कोलकाता मैं इसके लिए कौन से दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ती है? यह प्रश्न आपके मन में भी आ रहा होगा।तो हम आपको बता दें कि विभिन्न राज्य में मांगे जाने वाले दस्तावेज अलग-अलग हो सकते हैं।लेकिन पूरे भारत देश में इन तीन परिस्थितियों में ही आ अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) को पार कर सकते हैं। वह तीन परिस्थितियां नीचे दी गई है।

  • अगर आपने प्रॉपर्टी खरीदी है:- यदि आपके द्वारा कोई प्रॉपर्टी खरीदी गई है। तब आपको इस स्थिति में प्रॉपर्टी म्यूटेशन के लिए जो दस्तावेज जमा करने हैं। वह सेल डीड की कॉपी, प्रॉपर्टी म्यूटेशन के एप्लीकेशन जिस पर ₹3 की कोर्ट फीस स्टैंप चिपकी ,और ₹100 के स्टांप पेपर पर एक हर्जाना बॉन्ड, ₹10 के स्टांप पेपर पर एक एफिडेविट तथा लेटेस्ट प्रॉपर्टी टैक्स क्लीयरेंस पेपर है।
  • मालिक के मरने पर प्रॉपर्टी का म्यूटेशन, अगर आप उत्तराधिकारी है तो: यदि प्रॉपर्टी के मालिक की मृत्यु हो गई है। ऐसी स्थिति में प्रॉपर्टी का म्यूटेशन कराना आवश्यक है। क्योंकि इस स्थिति में नए नए उत्तराधिकारी बन जाते हैं।इस स्थिति में आवेदक को डेट सर्टिफिकेट की कॉपी ,वसीयत की कॉपी ,₹100 के स्टांप पेपर पर पर हर्जाना बॉन्ड,₹10 के स्टांप पेपर पर एफिडेविट जो नोटरी से अटेस्टेड हो तथा लेटेस्ट प्रॉपर्टी टैक्स के क्लीयरेंस पेपर।
  • अगर आपने पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए प्रॉपर्टी खरीदी है: ऐसी स्थिति में आपको पावर ऑफ अटॉर्नी के कागजातों की कॉपी, वसीयत की कॉपी ,₹100 के स्टांप पेपर पर हर्जाना बॉन्ड, ₹10 के स्टांप पेपर पर एक एफिडेविट, लेटेस्ट प्रॉपर्टी टैक्स क्लीयरेंस पेपर तथा एक एप्लीकेशन जिस पर ₹3 की कोर्ट फी स्टैंप चिपकी हो।

बातें जो कुछ मालूम होनी जरूरी है

  • यदि आपके द्वारा प्रॉपर्टी का म्यूटेशन नहीं कराया जाता है। तो फिर ₹25 की मामूली पेनल्टी लगेगी। तथा जब आपको सही लगे तब आप म्यूटेशन करा सकते हैं। यदि आपके द्वारा प्रॉपर्टी का म्यूटेशन कराया जाता है। तो यह आपके लिए सही रहता है।
  • हालांकि अगर भविष्य में प्रॉपर्टी बेची जाती हैं।
  • तो खरीदार द्वारा आपसे म्यूटेशन पेपर दिखाने को जरूर कहां जाएगा।
  • इन पेपर को ना दिखाने की स्थिति में आपको संपत्ति बेचने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
  • यह कानूनी रूप से अनिवार्य नहीं है।
  • यह मालिकाना हक टैक्स रिकॉर्ड का एक सबूत है।
  • विभिन्न राज्यों में प्रॉपर्टी म्यूटेशन का चार्ज अलग अलग होता है।
  • ज्यादातर मामलों में यह पहले बताई गई सीमा के अंतर्गत ही आते हैं।
  • प्रॉपर्टी म्यूटेशन वन टाइम ड्यूटी नहीं है।
  • प्रॉपर्टी म्यूटेशन को वक्त के साथ अपडेट कराना अनिवार्य है।
  • रेगुलर अपडेट से आपका प्रॉपर्टी रिकॉर्ड्स ऑफ रहता है। जैसा ही ही प्रॉपर्टी का कोई नया मालिक बनता है।
  • प्रॉपर्टी म्यूटेशन के अंतर्गत वह दर्ज कर लिया जाता है।

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महाराष्ट्र में प्रॉपर्टी कार्ड ऑनलाइन कैसे प्राप्त करें?

दोस्तों आज हम आपको महाराष्ट्र राज्य में अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं। इस कार्ड को ऑनलाइन बनाने की प्रक्रिया तथा इस कार्ड में नाम अपडेट करने की प्रक्रिया आज हम आपके साथ साझा करेंगे। म्यूटेशन शब्द का अर्थ रिवेन्यू रिकॉर्ड्स में प्रॉपर्टी के टाइटल के मालिक के नाम में परिवर्तन करने से है।अगर टाइटल को किसी अन्य व्यक्ति के नाम ट्रांसफर दर्ज कराना हो तो कानूनी भाषा में म्यूटेशन का अर्थ होता है रिवेन्यू रिकॉर्ड्स में प्रॉपर्टी के टाइटल में मालिक के नाम का परिवर्तन करना।

अगर टाइटल को किसी अन्य व्यक्ति के नाम ट्रांसफर दर्ज कराना हो तो इसके लिए इलाके के तहसीलदार संबंधित अधिकारी को एप्लीकेशन लिख कर सबमिट करनी होती है। इस एप्लीकेशन को एक सादे कागज पर लिखकर नॉन जुडिशल स्टांप के साथ सबमिट करना होता है।अगर आप भी प्रॉपर्टी म्यूटेशन से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां को प्राप्त करना चाहते हैं।तथा प्रॉपर्टी म्यूटेशन का लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे आज के इस आर्टिकल को अंत तक ध्यान पूर्वक जरूर पढ़ें।

प्रॉपर्टी की म्यूटेशन कराने की स्थिति

अधिकतर प्रॉपर्टी में टाइटल के नाम का परिवर्तन उस स्थिति में कराना पड़ता है। या तो जब प्रॉपर्टी को बेचा जा रहा हो या फिर उसको किसी और के नाम ट्रांसफर किया जाए। प्रॉपर्टी का हक बदलने वाली तिथि को सुरक्षित कर रख लिया जाता है।टाइटल के नाम में परिवर्तन कराने के लिए इनके साथ ही साथ उन तमाम कागजात की भी एक कॉपी सबमिट करनी होती है जिनके आधार पर अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) रिक्वेस्ट की जा रही है।

इन कागजों के अंतर्गत सेल डीड या वसीयत आदि कागजात शामिल है। कुछ रकम ट्रांसफर ड्यूटी के रूप में चुकानी होती है। अगर आप कुछ भाग का ही म्यूटेशन कराना चाहते हैं। तो आपको उतने भाग की ही पीस चुकानी पड़ेगी। जब की पूरी प्रॉपर्टी बेचने पर पिछले बकाया या पूरे हिस्से पर लागू होने वाली फीस देनी होगी

म्युनिसिपल रिकॉर्ड्स में म्यूटेशन– अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन)

म्युनिसिपल रिकॉर्ड्स में म्यूटेशन इसलिए कराया जाता है। जिससे कि प्रॉपर्टी कर आदि को जमा करने में किसी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े। एप्लीकेशन देने के बाद सरकारी विभाग द्वारा एक इश्तहार दिया जाता है।जिसके अंतर्गत यह पूछा जाता है कि इस नाम को परिवर्तन करने में किसी को कोई आपत्ति तो नहीं है। इसके लिए न्यूनतम 15 दिन का समय प्रदान किया जाता है।इसके पश्चात किसी आपत्ती पर ध्यान नहीं दिया जाता है तथा कर्मचारी अपनी रिपोर्ट सबमिट कर देते हैं।

रिपोर्ट से पहले दोनों पक्षों का बयान लिया जाता है। तथा उसका मिलान फिर कागजातों में दर्ज तथ्यों से किया जाता है।अगर म्यूटेशन के लिए किसी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं आती है। तो इसे लागू कर दिया जाता है। और कोई आपत्ति आने की स्थिति में मामले को इलाके के रिवेन्यू असिस्टेंट के पास सुनवाई के लिए भेज दिया जाता है। अगर किसी पक्ष को रिवेन्यू असिस्टेंट के निर्णय से असंतुष्टी होती है। तो वह आदेश जारी होने के 30 दिन के अंतर्गत हो एडिशनल कलेक्टर ( डिप्टी कमिश्नर) के पास जाकर अपील कर सकता है।

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किसी भी प्रॉपर्टी पर जिस व्यक्ति द्वारा प्रॉपर्टी कर जमा किया जाता है।अगर वह अपनी प्रॉपर्टी को बेचना चाहता है यानी टाइटल वो किसी और के नाम में ट्रांसफर किया जाए। तो मुंसिपल कॉरपोरेशन को इसकी सूचना जरूर देनी चाहिए।अगर प्रॉपर्टी टैक्स आदि में कोई भी बढ़ोतरी होती है या कोई बकाया रह जाता है।तो प्रॉपर्टी लेने वाले व्यक्ति पर इस की देनदारी होगी।इससे बचने के लिए टाइटल लेने वाला व्यक्ति यह सुनिश्चित करले कि पिछले सभी बकाया चुका दिए गए हैं या नहीं। यदि प्रॉपर्टी कर चुकाने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। तो उसकी मृत्यु के पश्चात प्रॉपर्टी जिस व्यक्ति के नाम हस्तांतरित होती है।मृत्यु के 6 महीने के अंतर्गत इसकी सूचना म्युनिसिपल कॉरपोरेशन को देनी होती है तभी म्यूटेशन संभव हो पाएगा।

अगर प्रॉपर्टी का कुछ भाग बेचा गया हो तो इस भाग का अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) संभव है।बस उस भाग पर लागू होने वाले सभी बकाया तथा निर्धारित फीस चुकाई जाए।इसी प्रकार उत्तर अधिकार के नियमों के अंतर्गत अगर कोई प्रॉपर्टी के सभी कानूनी उत्तर अधिकारियों के नाम ट्रांसफर होती है। तो इन सभी के नाम म्यूटेशन तभी होगा जब उनके हिस्सों पर लागू सभी टैक्स चुका दिए गए हो।

अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) कब और किस प्रकार का कराना चाहिए

  • सर्वप्रथम यह बताना अनिवार्य कि प्रॉपर्टी किस प्रकार की है तथा कौन से इलाके में है?
  • फिर यह बताना अनिवार्य है कि प्रॉपर्टी का मालिकाना हक किस कानून के तहत बदला गया?
  • दोनों पक्षों के नाम ,पिता का नाम तथा पूरे पत्ते को भी दर्ज करना होगा।
  • प्रॉपर्टी के हक परिवर्तन की तिथि भी दर्ज करनी होगी
  • इसके साथ ही साथ उन तमाम का कागजात की एक कॉपी भी सबमिट करनी होगी
  • जिनके आधार पर अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) की रिक्वेस्ट की जा रही है।
  • इन कागजों के अंतर्गत सेल डीड या वसीयत आदि कागजात शामिल है।
  • ट्रांसफर ड्यूटी के रूप में कुछ रकम भी चुकानी होगी।
  • अगर कुछ हिस्से का म्यूटेशन कराना है तो उतने हिस्से की फीस चुकानी पड़ेगी।
  • फीस जमीन या प्रॉपर्टी क्वांटिटी के आधार पर निर्धारित की जाएगी।
  • जबकि पूरी प्रॉपर्टी बेचने के लिए पिछला बकाया तथा पूरे हिस्से पर लागू होने वाली फीस देनी होगी।
  • यदि आप अपनी प्रॉपर्टी को पूरी तरीके से बेच रहे हैं अर्थात अपनी पूरी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री किसी अन्य के नाम में करवा रहे हैं। तो इस प्रकार की स्थिति में आपको अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) के लिए पूरी फीस देनी होगी।

Watch Video To Get Complete Information

नोट :- अगर आपको अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) में कोई परेशानी आ रही है तो नीचे दिए गए वीडियो को देख सकते हैं ।

https://youtube.com/watch?v=my8UnkJiFmg%3Ffeature%3Doembed

Property Card क्या है? –अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन)

प्रॉपर्टी कार्ड शहरी क्षेत्रों में भूमि के स्वामित्व तथा स्वामित्व के इतिहास का भूमि रिकॉर्ड होता है। वो मालमत्ता पत्रक (मालमता पत्रक) या अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) के नाम से भी जाना जाता है।महाराष्ट्र सरकार के शहरी भूमि रिकॉर्ड रजिस्टर द्वारा प्रॉपर्टी कार्ड निकाला जाता है।प्रॉपर्टी कार्ड में भूमि से जुड़ी जानकारियां होती है।इस प्रॉपर्टी कार्ड में भूमि की लंबाई चौड़ाई किस रेट में खरीदी गई है आदि विवरण दर्ज होते हैं।

प्रॉपर्टी कार्ड क्यों जरूरी है?

  • property card के अंतर्गत जमीन के असली मालिक का नाम होता है। तथा प्रॉपर्टी कार्ड के माध्यम से जमीन के असली मालिक को प्रमाणित किया जाता है।
  • किसी भ्रष्ट व्यक्ति से आप भूमि नहीं खरीद सकते जिससे आपका भी नुकसान नहीं होगा।
  • महाराष्ट्र राज्य में भूमि खरीदार के रूप में आपको उस भूमि के प्रॉपर्टी कार्ड की जांच करनी होगी
  • इस प्रॉपर्टी को खरीदने के लिए आप योजना बना रहे हैं की विक्रेता जमीन का असली मालिक है या नहीं।
  • यहां तक कि अगर आप महाराष्ट्र राज्य में एक फ्लैट खरीदने का भी सोच रहे हैं।तो आप किसी भी धोखाधड़ी से सुरक्षा के लिए भूमि के संपत्ति कार्ड की जांच कर सकते हैं।
  • प्रॉपर्टी कार्ड के जरिए भूमि के पैतृक इतिहास को भी दर्शाया जाता है।
  • जो कि विवाद की स्थिति में उपयोगी है।
  • इसके माध्यम से भूमि पर झूठे दावे का पता लगाने तथा भूमि हड़पने के मामले से बचने में सहायता प्राप्त होती है।

महाराष्ट्र सरकार द्वारा 7/12,8A तथा संपत्ति कार्ड को डिजिटल बनवाने के लिए एक विशाल कदम उठाया गया है। तथा उन सभी को अब महाभुलेख (महाराष्ट्र भूमि अभिलेख) वेबसाइट। पर ऑनलाइन इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। यह पारदर्शिता को सुनिश्चित करता है तथा धोखाधड़ी और भूमि सौदा में धोखा देता है। शहर के सर्वेक्षण कार्यालय से प्रॉपर्टी कार्ड प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन क्योंकि अब अधिकांश प्रॉपर्टी कार्ड डिजिटल है। तो अब यह एक बटन के एक क्लिक पर प्राप्त किया जा सकता है। प्रॉपर्टी कार्ड के अंतर्गत यह भी दर्ज होता है कि असली मालिक द्वारा भूमि किस व्यक्ति से प्राप्त की गई थी। तथा उस समय इस भूमि की क्या कीमत थी।

संपत्ति कार्ड में निम्नलिखित विवरण शामिल है

  • संपत्ति कार्ड में शामिल विवरण की सूची नीचे दी गई है।
  • भूमि के स्वामित्व का विवरण
  • पैतृक भूमि का स्वामित्व विवरण
  • सिटी टाइटल सर्वे नंबर (सीटीएस नंबर)
  • प्लॉट नंबर
  • वर्ग मीटर में क्षेत्रफल

रिकॉर्ड फॉर म्यूटेशन दर्ज ( भूमि रिकॉर्ड में स्वामित्व विवरण बदलने की एक प्रक्रिया) महाराष्ट्र में प्रॉपर्टी कार्ड ऑनलाइन कैसे प्राप्त करें?

भूमि रिकॉर्ड में स्वामित्व विवरण में परिवर्तन करने के लिए आपको नीचे दिए गये सभी steps फॉलो करने होंगे :-

  • सर्वप्रथम आपको महाराष्ट्र भूमि अभिलेख अधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करना है।
  • अधिकारिक वेबसाइट पर आपके सामने होम पेज खुल कर आ जाएगा
  • होम पेज पर आपको अपने जिले का चयन करना है।
  • अब आप को आपको मल्टी मेंट पर क्लिक करना है।
  • इसके पश्चात आपको ड्रॉप डाउन सूची में से अपने जिले का दोबारा से चयन करना है।
  • आपके द्वारा चयन किए गए जिले की वेबसाइट पर भेज दिया जाएगा।
  • इसके पश्चात आपको प्रॉपर्टी कार्ड देखे के लिंक पर क्लिक करना है।
  • लिंक पर क्लिक करने के बाद प्रॉपर्टी कार्ड टूल की एक और विंडो खुल जाएगी।
  • इस नई विंडो में आपको अपने जिले को चुनिंदा जिला ड्रॉपडाउन में से चयन करना है।
  • इसके पश्चात आपको अपने तालुक का चयन करना है।
  • अब आपको अपने विलेय का चयन करना है।
  • इसके पश्चात आप एन.यूबी.मा.क्र. या एन.यूब.मा.क्र. का चयन करें।
  • अब आप यहां पर संशोधन कर सकते हैं।
  • अपने भूमि रिकॉर्ड के स्वामित्व विवरण को परिवर्तित कर सकते हैं।
  • इसके पश्चात आपको आवश्यक प्रॉपर्टी कार्ड प्राप्त हो जाएगा।
  • आप इसे डाउनलोड भी कर सकते हैं।

महाराष्ट्र में संपत्ति कार्ड ऑनलाइन जांचने के लिए वैकल्पिक संसाधन

  • पंजीकरण और टिकट विभाग : Click here
  • महाराष्ट्र की ऑफिशियल वेबसाइट : Click here

प्रॉपर्टी म्यूटेशन नहीं कराया तो हो सकती है ,यह परेशानियां

  • प्रॉपर्टी का म्यूटेशन कराना एक आवश्यक काम है।
  • एक बार रियल एस्टेट की लेनदेन पूर्ण तथा संपत्ति आपके नाम पर रजिस्टर्ड होने के पश्चात
  • सरकारी रिकॉर्ड में प्रॉपर्टी का म्यूटेशन कराना बहुत ही अनिवार्य है।
  • म्यूटेशन का अर्थ होता है कॉरपोरेशन के रिकार्ड्स में किसी संपत्ति का ट्रांसफर या नाम में परिवर्तन।
  • बहुत से लोगों को अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) का मतलब पता नहीं होता है।
  • प्रॉपर्टी म्यूटेशन से तात्पर्य है कि अपनी प्रॉपर्टी के टाइटल के अंदर बदलाव करना।
  • संबंधित अधिकारी द्वारा इस टाइटल को बदलवाने ।
  • यदि समय रहते आपके द्वारा प्रॉपर्टी का मोटेशन करवा लिया जाता है।
  • तो आपको किसी भी तरह की सरकारी पेनल्टी से नहीं गुजरना पड़ेगा।
  • तथा आप पर एक्स्ट्रा टैक्स भी नहीं लगेगा। तथा ना ही आप पर ब्याज लगता है।
  • इसलिए प्रॉपर्टी म्यूटेशन करा लेना चाहिए। यह एक आवश्यक दस्तावेज है।
  • अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) प्रॉपर्टी के लिए आवश्यक है‌। इसमें प्रॉपर्टी का विवरण होता है ।
  • प्रॉपर्टी की क्षेत्रफल वैल्यू आदि का विवरण भी इसमें दर्ज होता है।

Conclusion

दोस्तों आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको अखिव पत्रिका (प्रॉपर्टी म्यूटेशन) से संबंधित सभी जानकारियां प्रदान कर दी है। यदि आपको हमारी यह जानकारियां पसंद आई हो तो हमारी वेबसाइट पर अपडेट करते रहिए। हम आपको ऐसी ही लाभकारी जानकारियों से परिचित कराते रहेंगे। दोस्तों हमारा ऐड करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ‌।

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